दीर्घञ्जीवितीयोऽध्यायः
अथातो दीर्घञ्जीवितीयमध्यायं व्याख्यास्यामः||१||
अन्वयः
अथ अतः दीर्घ-अायु-जीवितीय-अध्यायं व्याख्यास्यामः।
शब्दार्थ
अथ = अब / आगे
अतः = इसलिए / इस हेतु से
दीर्घ = लंबा
आयुः = जीवन / आयु
जीवितीय = जीवन से संबंधित
अध्यायं = अध्याय
व्याख्यास्यामः = हम व्याख्या करेंगे
सारांश:
अब हम दीर्घायु जीवन के लिए आवश्यक ज्ञान का अध्याय प्रस्तुत करेंगे। यहाँ “अथ” से यह संकेत मिलता है कि अब किसी महत्वपूर्ण विषय का आरंभ हो रहा है।“अतः” का अर्थ है — पिछले विचारों के आधार पर अब यह विषय प्रस्तुत किया जा रहा है।यह अध्याय जीवन को दीर्घ, स्वस्थ, और संतुलित बनाए रखने वाले सिद्धांतों पर केंद्रित है।यह चरक संहिता के पहले अध्याय की शुरुआत है |
Now, therefore, we shall explain the chapter concerning long and healthy life. “Atha” marks the beginning of a significant and sacred discourse.
“Atah” suggests that, based on previous understanding or the need, this topic will now be discussed.
