जग्राह निखिलेनादावश्विनौ तु पुनस्ततः||४||
अन्वयः
हि ब्रह्मणा यथा प्रोक्तं आयुर्वेदं प्रजापतिः आदौ निखिलेन जग्राह। ततः पुनः अश्विनौ जग्राह।
शब्दार्थ
ब्रह्मणा = ब्रह्मा द्वारा
हि = निश्चयपूर्वक /वास्तव में
यथा = जैसे
प्रोक्तम् = कहा गया
आयुर्वेदम् = आयु से संबंधित वेद (चिकित्सा शास्त्र)
प्रजापतिः = सृष्टिकर्ता प्रजापति
जग्राह = ग्रहण किया / प्राप्त किया
निखिलेन = सम्पूर्ण रूप में
आदौ = प्रारंभ में
अश्विनौ = अश्विनीकुमार, देवताओं के वैद्य
ततः = उसके बाद
पुनः = पुनः / फिर
सारांश
प्रारंभ में ब्रह्मा ने जिस प्रकार आयुर्वेद का उपदेश किया, उस सम्पूर्ण आयुर्वेद को प्रजापति ने ग्रहण किया। फिर अश्विनीकुमारों ने उसे पुनः प्राप्त किया।
In the beginning, the way Brahma preached Ayurveda, Prajapati accepted all that Ayurveda. Then the Ashwini Kumars retrieved it.
