अन्वयः
दीर्घं जीवितम् अन्विच्छन् भरद्वाजः उग्रतपाः इन्द्रं अमरेश्वरं शरण्यम् बुद्ध्वा उपागमत्।
शब्दार्थ
भरद्वाजः = भरद्वाज ऋषि
दीर्घं जीवितम् = दीर्घायु जीवन
अन्विच्छन् = खोजते हुए / इच्छा करते हुए
उग्रतपाः = कठोर तपस्या से युक्त
बुद्ध्वा = जानकर / समझकर
इन्द्रम् = इन्द्र के पास
अमरेश्वरम् = अमरों (देवताओं) के ईश्वर, इन्द्र
शरण्यम् = शरण देने योग्य
उपागमत् = गए / समीप पहुँचे
सारांश:
भरद्वाज मुनि, जो कठोर तपस्वी थे, जब दीर्घायु जीवन की प्राप्ति की इच्छा करने लगे, तो उन्होंने देवताओं के स्वामी, शरणदाता इन्द्र को जानकर उनकी शरण ली।
The sage Bharadvāja, desiring a long life and being a great ascetic, recognized Indra, the Lord of the immortals and worthy of seeking refuge in, and approached him.
