साङ्कृत्यो बैजवापिश्च कुशिको बादरायणः।
बडिशः शरलोमा च काप्यकात्यायनावुभौ ॥११॥
अन्वय -
साङ्कृत्यः, बैजवापिः च, कुशिकः, बादरायणः, बडिशः, शरलोमा च, काप्यः, कात्यायनः उभौ च सम्मिलितौ।
शब्दार्थ -
| संस्कृत शब्द | अर्थ |
|---|---|
| साङ्कृत्यः | ऋषि साङ्कृत्य (Rishi Sankritya) |
| बैजवापिः | ऋषि बैजवापि (Rishi Baijavapi) |
| च | और (and) |
| कुशिकः | ऋषि कुशिक (Rishi Kushika) |
| बादरायणः | ऋषि बादरायण (Rishi Badarayana) |
| बडिशः | ऋषि बडिश (Rishi Badisha) |
| शरलोमाः | ऋषि शरलोमा (Rishi Sharaloma) |
| काप्यः | ऋषि काप्य (Rishi Kapya) |
| कात्यायनः | ऋषि कात्यायन (Rishi Katyayana) |
| उभौ | दोनों (both) |
हिन्दी अर्थ -
साङ्कृत्य, बैजवापि, कुशिक, बादरायण, बडिश, शरलोमा, और काप्य तथा कात्यायन — ये दोनों भी उस सभा में उपस्थित थे।
English Meaning -
Sankritya, Baijavapi, Kushika, Badarayana, Badisha, Sharaloma, and both Kapya and Katyayana — these sages were also present in the assembly.
