तदा भूतेष्वनुक्रोशं पुरस्कृत्य महर्षयः।
समेताः पुण्यकर्माणः पार्श्वे हिमवतः शुभे॥७॥
अन्वय -
तदा महर्षयः भूतेषु अनुक्रोशं पुरस्कृत्य पुण्यकर्माणः शुभे हिमवतः पार्श्वे समेताः।
शब्दार्थ -
| संस्कृत शब्द | अर्थ |
|---|---|
| तदा | तब / उस समय (then) |
| महर्षयः | महान् ऋषि (great sages) |
| भूतेषु | प्राणियों में / सभी जीवों के प्रति (toward beings) |
| अनुक्रोशम् | दया / करुणा (compassion) |
| पुरस्कृत्य | सामने रखकर / प्रेरणा बनाकर (placing at the forefront / motivated by) |
| पुण्यकर्माणः | पुण्य कर्म करने वाले / virtuous in actions |
| पार्श्वे | पास में / निकट (near, beside) |
| हिमवतः | हिमालय के (of the Himalaya) |
| शुभे | शुभ / पवित्र स्थान में (auspicious, sacred) |
| समेताः | एकत्रित हुए (assembled, gathered together) |
हिन्दी अर्थ -
तब महान ऋषियों ने प्राणियों पर करुणा को प्रेरणा बनाकर, जो पुण्यकर्मों में लगे हुए थे, हिमालय के पवित्र स्थान में एकत्र होकर सभा की।
English Meaning -
Then, the great sages, motivated by compassion for all beings, and engaged in virtuous deeds, assembled at a sacred place on the slopes of the Himalayas.
